प्रेम विवाह या अन्तर्जातीय विवाह के लिए सरकार प्रोत्साहित करती है साथ ही इसके लिए कानून भी बनाये गये है। इतना ही नही सरकार इसे प्रोत्साहित करने के लिए योजनाएं भी चला रही है। लेकिन समाज आज भी प्रेम विवाह या अन्तर्जातीय विवाह को स्वीकार नही करती है। जिस समाज से प्रदेश के मुख्यमंत्री आते हैं, उन्हीं के समाज के लगभग 25 लोग जिन्होने अन्तर्जातीय विवाह कर लिया था आज सम्मानपूर्ण जीने का हक मांग रहे हैं, उनकी स्थिति ऐसी हो गई है कि प्रशासन और समाज उनकी सुनवाई न करे तो प्रशासन से उन्होंने आत्मदाह की अनुमति की मांग की है। दिल्लीवार कुर्मी समाज के इन 25 लोगों ने अपना जीवन साथी किसी दूसरी जाति से चुन लिया था, लेकिन इन्हें क्या पता था कि समाज इनके प्रेम विवाह को स्वीकार नहीं करेगा, और इन पर सामाजिक पाबंदियों की बेड़ियों में जकड़ देगा। समाज से बहिष्कृत इन जोड़ों ने आरोप लगाया है कि समाज के पदाधिकारियों द्वारा इनके संवैधानिक व मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। यहां तक अपने माता-पिता से मिलने उनके घर नहीं जा सकते। सामाजिक कार्यक्रमों में भी इसलिए हिस्सा नहीं ले पाते क्योंकि समाज के पदाधिकारियों द्वारा बहिष्कृत लोगों को न बुलाए जाने का दबाव होता है।
सामाजिक रूप से बहिष्कृत ख़िलेश्वर बेलचंदन कहते हैं कि सामाजिक बंदिशों की वजह से उन्हें अपनी मां की अंतिम यात्रा में शामिल होने से रोक दिया गया था। पीड़ितों की माने तो इनका जीवन दूभर हो गया है, इसी वजह से 22 तारीख को होने वाले सामाजिक कार्यक्रम में ये अपना हक मांगने जाना चाहते हैं, और सामाजिक कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति न मिलने पर इन्होंने सामूहिक आत्मदाह की अनुमति प्रशासन से मांगी है। शासन-प्रशासन स्तर पर किसी तरह का न्याय न मिलता देख इन्होंने इस बात की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय से भी हैं