रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के चर्चित स्काई वाक को तोड़ने का विचार टाल दिया गया है। उसे तोड़ने के बजाए अब उसके वैकल्पिक इस्तेमाल के रास्ते तलाशे जा रहे हैँ। इस मामले को लेकर बनी कमेटी की बैठक जल्द ही होने वाली है। उसी में तय होगा कि लगभग बन चुके स्काई वॉक का दूसरा इस्तेमाल क्या हो सकता है।
दसअसल, यह स्काइ वॉक पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की प्रोजेक्ट है। इसे पूर्व पीडबल्यूडी मंत्री राजेश मूणत की हठ के प्रतीक के रूप में भी पेश किया जाता है। तमाम विरोध और जन असहमति के बाजवूद इसे बनाने का काम शुरू किया गया। सरकार की तरफ से जो दलील दी गई, उसे कोई भी पचा नहीं पा रहा था। बल्कि इसकी जगह फ्लाई ओवर बनाने को ज्यादा सार्थक माना जा रहा था। लेकिन मंत्री अपनी जिद पर अड़े रहें। उनके इस जिद्द ने उनके खिलाफ जबरदस्त जन आक्रोश पैदा कर दिया था।तब विपक्ष की कांग्रेस ने इसका खूब विरोध किया था और सत्ता में आते ही इस प्रोजेक्ट को रोक दिया।
अब सरकार का कहना है कि चूंकि इसमें 35 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, इसलिए इसे तोड़ना उचित नहीं रहेगा। शासन ने विशेषज्ञों से सुझाव मांगे थे और अधिकांश ने कह दिया है कि इसे तोड़ना सही नहीं रहेगा, दूसरा उपयोग किया जाएगा सकता है। इसके लिए बनी कमेटी की अब बैठक होने वाली है। इसके अध्यक्ष वरिष्ठ कांग्रेस नेता सत्यनारायण शर्मा हैं।
कई प्लान के बाद आया स्काई वाॅक
शास्त्री चौक के चारों ओर सड़कों पर जिस स्काई वाॅक की उपयोगिता को लेकर चर्चाएं चल रही हैं, उसकी जगह पहले इन्हीं सड़कों पर फ्लाईओवर का प्लान आया था। फ्लाईओवर के 2015 में बने प्लान में अनुमानित खर्च 650 करोड़ रुपए आंका गया था। निर्माण से ज्यादा खर्च मुअावजे पर था, इसलिए सरकार भी पीछे हट गई। यहां फुट ओवरब्रिज पर भी चर्चा होती रही। मामला प्लानिंग लेवल तक भी पहुंचा, लेकिन इसी दौरान स्काई वाक का प्लान लांच कर दिया गया। स्काई वाक 49 करोड़ के बजट से शुरू हुआ और 78 करोड़ रुपए पर पहुंच गया।
बैठक 10 दिन के भीतर : समिति के चेयरमैन सत्यनारायण शर्मा के मुताबिक स्काईवाॅक के बारे में तकनीकी सुझाव समिति ने सारा डीटेल दे दिया है। अब सुझाव समिति की बैठक में इस पर बात होगी कि स्काई वॉक का क्या उपयोग होना चाहिए। समिति की बैठक 10 दिन के भीतर होने की संभावना है। इसके बाद विशेषज्ञों समेत सभी पक्षों के सुझावों का दस्तावेजीकरण किया जाएगा। ये सुझाव शासन तक पहुंचा दिए जाएंगे। गौरतलब है, पिछले साल 26 जुलाई को तकनीकी समिति की बैठक मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई थी। उस बैठक में स्काई वाक के उपयोग पर सुझाव अाए थे, लेकिन फिर हाईपाॅवर कमेटी बन गई थी।