भारत में अब तक जितने भी कोरोना के मरीज सामने आए हैं, उनमें 83 प्रतिशत मरीज पुरुष हैं। उनमें भी 81 प्रतिशत मरीज 50 वर्ष से अधिक उम्र के हैं। यह नतीजे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों के कोरोना मरीजों पर किए गए अध्ययन के हैं। इस अध्ययन में आईसीएमआर के 20 वैज्ञानिकों ने देश के 20 राज्यों के 52 जिलों में भर्ती 5911 ऐसे मरीजों का परीक्षण किया जिन्हें सांस लेने में गंभीर समस्या थी।
इस अध्ययन के नतीजों को इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने छापा है।अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि भारत में कोरोना वायरस के मरीजों की औसत उम्र 54 वर्ष है और इनमें से 83.3 प्रतिशत पुरुष है। इसका अर्थ है कि कोरोना संक्रमित महिलाएं 16.7 प्रतिशत हैं। इन मरीजों में 81 प्रतिशत से अधिक लोगों की उम्र 50 वर्ष से ऊपर थी। हालांकि 14वें सप्ताह में किए गए इस अध्ययन में सांस की बीमारी के मरीजों में से केवल 2.6 प्रतिशत लोगों को ही कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया।
हालांकि वैज्ञानिक अभी भी पुरुषों में इतने ज्यादा संक्रमण की वजह नहीं ढूंढ पाए हैं। जाने-माने माइक्रोबायोलॉजी प्रो. प्रत्यूष शुक्ला कहते हैं कि अभी इस वायरस के जीनोम का पूरी तरह विश्लेषण नहीं हो पाया है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता यह महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को संक्रमित क्यों कर रहा है।
आईसीएमआर के अध्ययन में भी सिर्फ नतीजे दिए गए हैं लेकिन वे भी इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे कि पुरुषों में इतना ज्यादा संक्रमण होने की वजह क्या है। कोलकाता के पलमोनरी साइंस (फेफड़ों की बीमारी) के विशेषज्ञ डॉक्टर सात्यिकी हालदार भी मानते हैं कि अभी पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के जीन का अध्ययन पूरा नहीं हो पाया है।
वैज्ञानिक अभी भी जानने की कोशिश कर रहे हैं कि यह वायरस मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) कैसे खत्म कर देता है। यह मालूम होते ही कोरोना-19 की वैक्सीन तैयार कर ली जाएगी।