दिल्ली। देश को हिला देने वाले निर्भया गैंगरेप एवं मर्डरकांड के आरोपी कानूनी प्रक्रियाओं से भी जमकर खेल रहे हैं. चारो दोषियों को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है, लेकिन किसी भी तरह की चूक ना रह जाए, इसके लिए प्रावधान किए गए कानूनी उपायों का सहारा लेकर निर्भया के दरिंदे कानून से भी जम कर खेल रहे हैं। अपना हर कानूनी विकल्प गंवा चुके आरोपी मुकेश ने अप्रत्याशित कानूनी पैतरा चला है। फासी से एक दिन दूर मुकेश ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और मांग की कि उसे फांसी की सजा भी बाकी आरोपियों के साथ ही दी जाए.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा मुकर्रर होने के बाद सबसे पहले कानूनी पैतरेबांजी करने मुकेश सामने आया. उसने सुप्रीम कोर्ट के पास पुनर्विचार याचिका दायर की. याचिका रद्द हुई तो राष्ट्रपति पास दया याचिका लगाई. दया याचिका भी खारिज कर दी. मुकेश फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और दलील दी कि राष्ट्रपति ने याचिका सुनने में जल्दबाजी दिखाई है। उनके पास सैकड़ों याचिका लंबित है, लेकिन उसी की याचिका सुनने की जल्दबाजी दिखाई. लेकिन उसका यह दांव भी ठुकरा दिया गया.
मुकेश की फांसी की सजा 2 फरवरी को तय थी। लेकिन एक दिन पहले उसने फिर नया चाल चल दिया. उसने सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका डाल दी. उसने मांग की कि फांसी की सजा बाकी दूसरे आरोपियों के साथ ही दी जाए. आरोपी के वकील 1982 के सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देकर मांग कर रहे हैं कि एक अपराध में फांसी की सजा पाए सभी आरोपियों की एक भी याचिका कहीं लंबित है, तब तक एक को भी फांसी नहीं दी जा सकती है। इस आधार पर वो मुकेश समेत अन्य तीनों की फांसी की तय तारीख को आगे टालने की मांग कर रहे हैं। अब तक मुकेश के विकल्प के सारे विकल्प खत्म हो चुके हैं. जबकि विनय की याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है. बाकी को दो आरोपियों के पास भी सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका और राष्ट्रपति की दया याचिका के विकल्प खुले हैं।
आरोपियों की चाल देखिए कि सुप्रीम कोर्ट से सजा मुकर्रर होने के बाद एक साथ पुनर्विचार याचिका और दया याचिका दाखिल नहीं की गई। ये सारे आरोपी 1982 के फैसले का फायदा उठा रहे हैं। एक आरोपी के विकल्प खत्म होने के बाद दूसरा आरोपी विकल्प अपनाने सामने आ रहा है। इस तरह चार से छह महीने और समय खींच लेने की फिराक में हैं.
कैसे खेल रहे हैं कानून से
निर्भया के दोषी शातिराना चाल चलते हुए कानूनी प्रक्रिया से खूब खेल खेल रहे हैं। पहले मुकेश ने कानूनी हथकंडा अपना। उसके रास्ते बंद हो गए तो अब दूसरा आरोपी सामने आया है। फिर तीसरा आएगा, फिर चौथा। मंशा साफ है कि फांसी की सजा को जितने दिन हो सके टाला जाए। इन सबकी मंशा को सुप्रीम कोर्ट भी समझ रहा है और कानूनी प्रक्रिया में सुधार लाने की जरुरत भी बता चुका है। फिर भी ये आरोपी हर हथकंडे खेलने से बाज नहीं आ रहे हैं.